3rd Month of Pregnancy, प्रेगनेंसी का 3 से 6 महींने तक का मतलब नये-नये अनुभव देखने को मिलत हैं,कुछ अनुभव अच्छे होंगे तो कुछ परेशानिया बनकर सामने आएँगी|
प्रेगनेंट महिलाएं अपना 9 महींने कैसे-कैसे गुजरती है,ये इनके लिए बहुत मायने रखती हैं,जिससे विशेष देख भाल की जरुरत होती हैं|
यहाँ हम प्रेगनेंट महिलाओं की बात करे तो वो अगर खुद स्वस्थ रहेंगी तभी वो एक स्वस्थ बच्चें को जन्म दे सकेंगी|
प्रेगनेंसी का 3 महिना प्रेंगनेंट महिला के शरीर में तमाम तरीके के बदलाव लेकर आते हैं,इस दौरान बच्चे का विकाश तेजी से होने लगता हैं| जिससे प्रेगनेंट महिलाये आसानी से महसूस करती हैं|
प्रेगनेंसी के 3 महीने बाद शरीर में होने वाले बदलाव |
तीसरे महीने के बाद, प्रेगनेंट महिलाओ को उल्टी और जी मचलने की समस्या धीरे धीरे कम होने का अनुभव होता हैं जो कुछ भीं खाती पीती हैं तो उन्हें अच्छा लगने लगता हैं|
प्रेंगनेंट होने के दौरान हार्मोनल स्तरों में परिवर्तन के कारण महिलाये नींद और थका हुआ मासुस करती हैं|
प्रेंगनेंट महीलाओ को रक्त की मंत्रा में वृद्धि आपके गुर्दे पर दबाव डालती हैं, इसके अलावा बढ़ता मूत्राशय पर दबाव डालता हैं, इस कारण भी आपको बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो सकती हैं|
प्रेंगनेंट महिलाएं 3 महींने के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोनल के स्तर वृद्धि पाचक प्रक्रिया को धीमा कर देता हैं,जिससे कब्ज की शिकायत हो सकती हैं| अनुचित आहार भी कब्ज का एक शिकायत हैं|
तो ज्यादा से ज्यादा संतुलित आहार का सेवन करे |
प्रेंगनेंट महिलाओ को रात को सोते समय पैरो में ऐठन और दर्द परेशान कर सकता हैं|
प्रेंगनेंट महिलाओ को हार्मोनल स्तर में प[परिवर्तन के कारण आपको पीठ में दर्द, इसके अलावा बढ़ते गर्भाशय में खिचाव होने के कारण पेट के निचले भाग में दर्द मासुस होता हैं|
प्रेंगनेंट महिलाओ को 3 से 6 महीने क दौरान आपके शरीर में होने वाले हार्मोनल के कारण आपके स्वभाव में बदलाव हो सकता हैं,
- ऐसे में चिडचिडापन,
- बात बात पर गुस्सा आना ,
- बिना किसी कारण रोने जैसी समस्या स्वाभाविक है |
प्जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकाश होता है , यह भोजन पचाने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, आपका गर्भास्य पेट पर दबाव डालना शुरू कर देता है , जिससे सिने में जलन जैसी समस्या होने लगती है |
प्रेंगनेंट महिलाओ को 3-6 महीने में पेट और स्तनों के बढ़ने के कारण स्ट्रेच मार्क्स भी नजर आने लगते है |